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India Post की सर्विस बंद होने से बढ़ेगा खर्चा, जानिए क्या है मामला

इंडिया पोस्ट ने हाल ही में एक ऐसा कदम उठाया, जिसने पुस्तक प्रेमियों और स्वतंत्र प्रकाशकों को झटका दिया। भारतीय डाक विभाग ने अपनी रजिस्टर्ड बुक पोस्ट सेवा (Registered Book Post Service) को अचानक बंद कर दिया। न इसकी कोई आधिकारिक सूचना दी गई, न कोई वजह बताई गई। इसका असर न केवल पुस्तक प्रकाशकों बल्कि आम नागरिकों पर भी पड़ा है, जो किफायती दरों पर किताबें भेजने के लिए इस सेवा पर निर्भर थे। आइए इस बदलाव के प्रभाव और इसके पीछे की संभावनाओं को विस्तार से समझें।

बुक पोस्ट सेवा: सस्ती और भरोसेमंद सुविधा

पुस्तक प्रेमियों और प्रकाशकों के लिए इंडिया पोस्ट की बुक पोस्ट सेवा एक वरदान थी। इसकी शुरुआत का मुख्य उद्देश्य यह था कि लोग कम खर्चे में किताबें भेज और प्राप्त कर सकें। कूरियर सेवाओं की तुलना में यह सेवा बेहद किफायती थी। जहां निजी कंपनियां किताबें भेजने के लिए भारी शुल्क वसूलती थीं, वहीं बुक पोस्ट के माध्यम से 200 पन्नों तक की किताब को मात्र 20-25 रुपये में देश के किसी भी कोने में भेजा जा सकता था। यही वजह थी कि यह सेवा छोटे प्रकाशकों और पुस्तक प्रेमियों के बीच बेहद लोकप्रिय थी।

सेवा बंद करने का फैसला: अचानक और अनजान

18 दिसंबर को, बिना किसी पूर्व सूचना या सार्वजनिक घोषणा के, इंडिया पोस्ट ने रजिस्टर्ड बुक पोस्ट सेवा को बंद कर दिया। इससे लोगों को तब पता चला जब वे पोस्ट ऑफिस पहुंचे और उन्हें बताया गया कि यह सेवा अब उपलब्ध नहीं है। डाक विभाग ने इस फैसले का कोई ठोस कारण नहीं दिया है। हालांकि, इस कदम को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं कि यह भारत में डाक सेवाओं के निजीकरण की ओर पहला कदम हो सकता है।

पुस्तक प्रेमियों और प्रकाशकों पर असर

इस सेवा के अचानक बंद होने से सबसे ज्यादा नुकसान छोटे और स्वतंत्र पुस्तक प्रकाशकों को हुआ है। अब उन्हें किताबें भेजने के लिए स्पीड पोस्ट या रजिस्टर्ड पोस्ट जैसे महंगे विकल्पों का सहारा लेना होगा। इन विकल्पों की लागत बुक पोस्ट की तुलना में कई गुना अधिक है, खासकर जब बात वजन की हो। प्रकाशकों का कहना है कि बढ़ी हुई लागत को सीधे ग्राहकों तक पहुंचाना पड़ेगा, जिससे पुस्तकें महंगी हो जाएंगी और यह पाठकों की पहुंच से बाहर हो सकती हैं।

क्या यह निजीकरण की ओर एक कदम है?

डाक विभाग की इस अचानक की गई कार्रवाई को लेकर चर्चा है कि यह सेवा बंद करने का फैसला निजीकरण की प्रक्रिया का हिस्सा हो सकता है। हालांकि, इंडिया पोस्ट ने अभी तक इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। यदि ऐसा है, तो यह देश के पुस्तक प्रेमियों और छोटे व्यवसायियों के लिए एक बड़ा झटका होगा। निजी कंपनियां पहले से ही उच्च शुल्क वसूल रही हैं, और सरकारी सेवाओं के महंगे होने से स्थिति और गंभीर हो जाएगी।

महंगे विकल्प: क्या है अब रास्ता?

अब जब बुक पोस्ट सेवा उपलब्ध नहीं है, तो प्रकाशकों और ग्राहकों के पास स्पीड पोस्ट और रजिस्टर्ड पोस्ट जैसे विकल्प ही बचते हैं। लेकिन इन सेवाओं की दरें वजन के हिसाब से काफी अधिक हैं। उदाहरण के लिए, जहां 200 पन्नों की किताब पहले 20-25 रुपये में भेजी जा सकती थी, वहीं अब इसकी लागत 50-100 रुपये या उससे अधिक हो सकती है। ऐसे में, यह बदलाव बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित करेगा, खासकर उन लोगों को जो किफायती दरों पर डाक सेवाओं का उपयोग करते थे।

समाज पर व्यापक प्रभाव

बुक पोस्ट सेवा के बंद होने का असर केवल प्रकाशकों और पाठकों तक सीमित नहीं है। यह उन लाखों लोगों पर भी प्रभाव डालेगा जो डाक विभाग की किफायती सेवाओं पर भरोसा करते थे। किताबें पढ़ने और खरीदने की आदत को बढ़ावा देने के लिए यह सेवा महत्वपूर्ण थी। अब, जब यह सेवा बंद हो गई है, तो यह संभावना है कि पुस्तक संस्कृति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

क्या हो सकता है भविष्य?

इंडिया पोस्ट के इस फैसले ने एक सवाल खड़ा कर दिया है—क्या यह सरकारी डाक सेवाओं के निजीकरण की शुरुआत है, या यह केवल एक अस्थायी कदम है? इस सेवा को बंद करने के कारणों और इसके पीछे की योजना पर अब तक कोई स्पष्टता नहीं है। यदि यह फैसला लागत कम करने के लिए लिया गया है, तो सरकार को यह भी सोचना चाहिए कि इससे आम जनता पर कितना प्रभाव पड़ेगा।

इंडिया पोस्ट की जिम्मेदारी

इंडिया पोस्ट ने दशकों तक देश को सस्ती और भरोसेमंद डाक सेवाएं प्रदान की हैं। बुक पोस्ट सेवा का बंद होना न केवल एक सेवा का अंत है, बल्कि यह देश की डाक प्रणाली पर जनता के विश्वास को भी झटका देता है। सरकार और डाक विभाग को चाहिए कि वे इस फैसले के पीछे के कारणों को स्पष्ट करें और यह सुनिश्चित करें कि पाठकों, प्रकाशकों और आम जनता के हितों की रक्षा हो सके।

इंडिया पोस्ट का यह कदम एक बड़ी चर्चा का विषय बन चुका है। अब यह देखना होगा कि डाक विभाग इस पर क्या कदम उठाता है और क्या देश को फिर से ऐसी सस्ती और किफायती सेवा का लाभ मिलेगा।

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